Sunday, August 24, 2025
मत दाता सूची के "विशेष सघन संशोधन-वि स सं (SIR)"को
बिहार विधान सभा चुनाव तक बंद करो
-चन्द्र भूषण चौधरी
विपक्षी राजनीतिक दलों और आम जनता को एक ही मांग करनी चाहिए-
"मत दाता सूची के "विशेष सघन संशोधन-वि स सं (SIR)"को
बिहार विधान सभा चुनाव तक बंद करो"०
उच्चतम न्यायालय के कथनों के बावजूद विपक्षी दलों और आम जनता
का यह "असहयोग आंदोलन" होना चाहिए०
सत्ता पक्ष तो यह कहेगा ही कि विपक्षी दल संवैधानिक संस्थाओं यथा
कें चु आ , संसद और उच्चतम न्यायालय का अपमान कर रहे हैं०
वैसे आरोपों के प्रचार से विपक्षी दलों और आम जनता को विचलित
नहीं होना चाहिए० भारत में लोकतंत्र और संस्थाओं को इतना खराब
किया जा चुका है कि अब लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई सड़क पर
ही हो सकती है०
--------------
केंo चुo आo (Central Election Commission) द्वारा चलाए जा रहे
मत दाता सूची के "विशेष सघन संशोधन-वि स सं (SIR)" मे "भीषण बदनीयती"
और "पूरी प्रक्रिया में मौलिक खोट" है०
ऐसे संशोधन को सही रूप से करने के लिए कम से कम डेढ़ से दो साल का समय
लगेगा० खास कर उस जनता में जहाँ बड़ी संख्या में लोग मजदूरी- रोजगार के
लिए प्रदेश के बाहर जाते हों० और वे तीज त्योहार, शादी ब्याह, आम चुनाव वगैरह
के लिए साल में एकाध बार ही घर आते हों ०
बिहार विधान सभा चुनाव के केवल चार महीना पहले बरसात, रोपनी और बाढ़ के
मौसम में ऐसा अभियान ठान देना कें चु आ की बेवकूफी नहीं है- यह उसकी
बदनीयती है०
इस वि स सं (SIR) का ऐलान यथा जुलाई में 25 दिन के अंदर अंशकालिक कर्मचारियों
द्वारा सटीक (accurate)रूप से भारत सरकार द्वारा अनुमानित
8.18 करोड़ मतदाताओं के भरे हुए नए फारम
(असंभव सलग्नकों-enclosure के साथ) पावती रसीद देकर
इकट्ठा करने की योजना प्रक्रिया की एक मौलिक खोट है०
नीयत और प्रक्रिया में दसियों और खोट हैं जिनकी चर्चा चारों तरफ हो ही रही है०