Wednesday, December 15, 2004

 

दिल्ली का सबक – भारत को तुरत अपनी FPTP चुनाव पद्धति को बदल कर “आनुपातिक प्रतिनिधित्व” (Proportional Representation) लाना जरूरी है.

दिल्ली विधान सभा चुनाव 2015  के नतीजे  भारत  की अलोकतांत्रिक FPTP चुनाव पद्धति के खतरों को पुष्ट करते हैं. इसमे वोट प्रतिशत  और सीटों की संख्या निम्न लिखित है —
1. आ आ पा –   54.3 %  — 67 सीटें
2.  भा  ज  पा-  32.1 %  — 3   सीटें
3.  कांग्रेस    –   9.8 %   —  0  सीट
4.  ब स पा   –   1.3 %   —  0  सीट
5 . अन्य      –    2.5 %  —  0  सीट
इसकी तुलना में  2013  के दिल्ली चुनाव में यही आंकड़े  निम्न लिखित थे —
1. आ आ पा –   29.5 %  — 28  सीटें
2.  भा  ज  पा-  33.1 %  — 31   सीटें
3.  कांग्रेस    –   24.6 %   —  8  सीटे
4.  ब स पा   –   5.4  %   —   0  सीट
5 . अन्य      –   7.4  %   —   2  सीटे
 ऊपर की तालिका से यह साफ़ है कि आनुपातिक रूप से 2015 में भा ज पा को 21 सीटें, कांग्रेस को 6 सीटें और ब स पा को 1 सीट  और आ आ पा को केवल 38 सीटें  मिलनी चाहिए . दिल्ली के मतदाताओं में भा ज पा की ज़मीन बिलकुल कायम है.
इसी विश्लेषण से 2014 की  लोक सभा में भा ज पा  को 31 % मत से केवल 167 सीटें मिलनी चाहिए थी. उसके आधार पर केंद्र में उसकी अकेले या वर्तमान NDA की  सरकार बन ही नहीं सकती थी. उस हालत में मोदी उन अतिवादी निर्णयों को ले ही नहीं सकते थे, जो उन्होंने पिछले  नौ  महीनो में लिए हैं.
FPTP चुनाव प्रणाली के खतरे साफ़ हैं – वह देश को अलोकतांत्रिक शासन की ओर ले जाता है – कभी भी तानाशाही का  शासक  ला सकता है .  सभी राजनीति से जुड़े लोगों को इन खतरों को समझ कर पूरी ताकत से देश में आनुपातिक प्रतिनिधित्व” (Proportional Representation- PR) लाने के आन्दोलन में लग जाना चाहिए.
आज दुनिया के 80 देश PR के द्वारा अपनी सरकार चुनते हैं, जिनमे जर्मनी सहित यूरोप के दर्जन से ज्यादा देश शामिल हैं.   PR के बारे में ज्यादा जानने के लिए इन links पर खटका मार कर पढ़े.
http://www.cric11.com/ceri/
– चन्द्रभूषण चौधरी , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,समाजवादी जनपरिषद

 

Dr. Chandra Bhushan Choudhary & Dr. Karuna Jha

Dr. C.B.Choudhary
डा० चन्द्र भूषण चौधरी 
 Bharati Hospital Campus,  Kokar Chowk; H.B.Road PO- Kokar Ranchi- 834 001 Jharkhand; India 

This page is powered by Blogger. Isn't yours?