Saturday, July 05, 2025
एक मित्र "दल विहीन लोकतन्त्र" के लिए भारत में बदलाव लाना चाहते हैं० उन्होंने उसमें मेरा समर्थन मांगा० उन को मेरी टीप (Post)--
प्रिय मिथिलेश दांगी जी,
मैं एक स्वतंत्रता सेनानी दम्पत्ति का बेटा हूँ० जन्म से ही संघर्ष, आंदोलन और राज नीति को करीब से देखते हुए जवान हुआ० 17 साल की उम्र में डॉ _लोहिया से प्रभावित होकर समाजवादी आंदोलन से जुड़ा और अब तक उससे जुड़ा हूँ० JP के 74 आंदोलन और ईमर्जन्सी में भी हम पति- पत्नी सक्रिय रहे०
मेरा बरसों लंबा विश्लेषण कहता है कि "दल विहीन लोकतंत्र" एक संभव व्यवस्था नहीं है० दूसरा सबूत है कि सारी दुनिया में छोटे गावों और शहरों को छोड़कर उससे बड़ी आबादी के लोकतंत्र "प्रतिनिधित्व (Representation)" के द्वारा ही चलते हैं० अर्थात एक सीमित समय (3 , 4 , 5, या उससे ज्यादा बरसों) के लिए हरेक नागरिक किसी विचार धारा / संगठन/ व्यक्ति को अपना समर्थन सौंप देता है० उस छोटी अवधि के लिए उसे अपना समर्थन वापस लेने की गुंजाईश नहीं होती है० ये संगठन / व्यक्ति समूह ही "दल" होते हैं०
हाँ इस दलीय लोकतन्त्र के भी कई प्रकार और सुधरे हुए रूप अलग अलग देशों में चल रहे हैं० उन दिशाओं में भारतीय लोकतन्त्र में फौरी क्रांतिकारी सुधारों की जरूरत है०
अब तक लोकतंत्र का सबसे अच्छा रूप "आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation- PR)" मानी जाती है० भारत में इसे लाने का बड़ा आंदोलन अविलंब होना चाहिए०
इस पद्धति के बारे में प्रारम्भिक जानकारी इस लिंक पर मिलेगी० अनुरोध है कि आप उसे जरूर पढें० हिन्दी विकिपिडिया में भी एक छोटा लेख है०
https://en.wikipedia.org/wiki/Proportional_representation